Thursday, June 16, 2011

हो रहे आयात हर मौसम में बादल

जगमगाती सर्च लाईट के शहर में 
टिमटिमाते छुद्र तारे क्या करेंगे 

चींखती चिन्घारती आवाज के घर 
कुलबुलाते मौन इशारे क्या करेंगे 

बांध दी मझधार में लहरों की मुश्कें 
दूर तक फैले किनारे क्या करेंगे 

हो रहे आयात हर मौसम में बादल 
मौसमी बादल बेचारे क्या करेंगे 

रिश्वतें ले चल रही हैं अब हवाएं 
वक्त के खिड़की द्वारे क्या करेंगे 

दिन बबूली रात तपती रेत की सी 
गुलमोहरी स्वप्न कुंवारे क्या करेंगे .
                                      "चरण" 

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