Friday, August 12, 2011

स्वतंत्रता कि इस बेला में

स्वतंत्रता कि इस बेला में
उन सबका सम्मान करें
जिनके रक्त से रंजित  धरती
उन वीरों का ध्यान करें .
भारत मा के गहने उतरे
हत्करियान पहना थी
एक लहर पश्चिम से चलकर
भारत भू पर आई थी
जिसने अत्याचार के पर
अपनी ध्वजा फहराई  थी
अपने घर में घुसे विदेशी
अपना ही अपमान करें .
मा को मा कह पाने का जब
हमको कोई अधिकार नही था
मा के चरण स्पर्श करें हम
ऐसा कोई त्योहार नहीं था
एक सुहागन के माथे पर
कुम कुम या सिंदूर नहीं था
राखी  के दिन राखी  पकड़े
और नयनो  में नीर  भरे .
कफन बाँध कर निकल  पड़े जब
दी-मा ने सौगंध दूध की
मा के आँसू फूल  बन गए
सुनकर के हुंकार पूत  की .
लहु  के सोते बह निकले तब
आजादी के दीवानों से
किसी के अंग सब भंग हो गए
कोई हाथ पर शीश धरे .जिनके -------
दिन पर दिन यूँ रहे गुजरते
बलिवेदि कि झोली भरते
फाँसी  के फंदो  में झूले
जेलों की दल दल में सड़ते
अग्नि के शोलों से खींच कर
लाए देश में वे आजादी
आजादी के दीवानों को
युग युग हम प्रणाम करें
जिनके रक्त से रंजित धरती
उन वीरों का ध्यान करें .
                              "चरण"

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