Wednesday, August 10, 2011

दो आधुनिकाये

एक दिन
एक आधुनिक मा
और एक आधुनिक पुत्री
सड़क पर जा रहीं थी
आस पास वालों पर बिजली गिरा रहीं थी
चौराहे पर
एक मनचले युवक ने सीटी  बजाई
दोनों आधुनिका  ने दृष्टि घुमाई
बारी  बारी से अंखिया  मिलायी
मुस्करायी
और चली इं
दूसरे दिन
उसी स्थान पर
अकेली पुत्री फिर उस युवक से टकराए
मुस्करा अंखिया  मिलायी
किंतु युवक खामोश रहा
फिर युवती ही फुस्फुसायी
कल तो सीटी  बजा रहा था
आज नखरे दिखा रहा है
युवक बोला
देवी आपको ग़लत फहमी हुयी है
मेरी नीयत जरूर दगमगायी थी
किंतु आप पर नहीं
मैंने तो आपके साथ वाली को देखकर
सीटी बजाई थी .
                                 "चरण"

No comments:

Post a Comment