Thursday, August 11, 2011

अपहरन के बाद

एक बेचारे किस्मत के मारे  ने एक सेठ की पत्नी का कर डाला अपहर
और सेठ को एक पत्र  लिखा
महाशय
आपको सूचित किया जाता है
आपकी पत्नी हमारे कब्जे में है
पचास हजार रुपये ले आइए
और छुड़ा कर ले जाइए
दूसरे दिन
नियत  समय पर सेठ तो नही आया
किंतु उसका नौकर एक पत्र ले आया
पत्र में लिखा था
दोस्त धनियवाद
जो तुमने मुझे पत्नी से मुक्त कराया
कुछ दिन बाद
उसी अपहरन करता का पत्र
फिर सेठ के पास वापिस आया
लिखा था
सेठ जी
अब मैं आपको पचास हजार रुपये दूँगा
कृपया मेरी जान बचाईये
आकर अपनी पत्नी को ले जाईये .
                                           "चरण"

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