Monday, August 8, 2011

एक दिन अचानक

अचानक एक दिन एक स्थान पर
धरती से
पानी  का फव्वारा फूट  पड़ा
देखते ही देखते वहाँ  पर
सारा  शहर टूट पड़ा
भक्तों में श्रधा उमड़ आयी
किसी ने नारियल फोड़ा
किसी ने लड्डू तोड़ा
कहा किसी ने चमत्कार है
चमत्कार को नमस्कार है
कोई बोला हर हर गंगे
कोई जय गंगा मैया कि
कहीं पास में हवन हो रहा
और कहीं पर भजन हो रहा
व्यापारियों कि बन आयी
शुरू हो गयी हाथापाई
खेल तमाशे वालों ने भी
अपने अपने तंबू ताने
कम्पितिशन में उतरे
नई नई फिल्मों के गाने
लंगरे लुल्हे अंधे कोर्ही
सबने अपनी टोली जोड़ी
ढ़ोंगी साधु सन्यासी भी
भंडारों में अलख जगाते
ईश्वर की कृपा ही समझो
आज पेट भर भर कर खाते
नगर पालिका वालों ने भी
सेवा में कुछ कसर ना रखी
जनता के पैसे की राबड़ी
खूब स्वाद ले लेकर चक्खी
तीन दिवस कुछ ऐसे बीते
समझ ना आया
ज्यों ऊपर से स्वर्ग उतरकर
धरा  पे आया
चौथे दिन का हाल ना पूछो
चौथा दिन कुछ ऐसे आया
नकली माल हटा ऊपर से
असली उभरकर ऊपर आया
एक बार फिर शोर शराबा
एक बार फिर सन्नाटा
आंखो  के आगे से जैसे
काला परदा हट  गया था
क्यों कि असलियत यह थी
कि धरती के नीचे
पानी का एक पाइप
फाटा गया था .
                       "चरण"

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