Monday, August 29, 2011

सूरजमुखी का फूल


सूरजमुखी का फूल बनके जी रहे हैं हम
कैसी विडम्बना है की विष पी रहे हैं हम
लो भोर हो गयी की हम जागने लगे
सूरज की ओर दोस्तों फिर ताकने लगे
अब शाम तक के वास्ते फिर जी रहे हैं हम
कैसी विडम्बना है की विष पी रहे हैं हम
न मोक्ष की चाहत हमें न त्याग भावना
मजबूरियों में कर रहे हम गम का सामना
अंधी गुफा में जिंदगी को जी रहे हैं हम
कैसी विडंबना है की विष पी रहे हैं हम
सपनो में शहंसा बने और दिन में लुट गए
सपनो के राज दोस्तों सपनो में छुट गए
सपनो के चीथड़ों को फिर से सीँ रहे हैं हम
कैसी विडम्बना है की विष पी रहे है हम
आओ की वक्त हो गया पंखुड़ी समेत लें
अब जिंदगी की रेख को हम खुद ही मेट लें
नागों की छत्रछाओं में अब जी रहे हैं हम
कैसी विडंबना है की विष पी रहे हैं हम .
                                                    "चरण"

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