Tuesday, August 9, 2011

वक्त पहरेदार है

वक्त पहरेदार है जाने नहीं देगा
भीतर परिंदे को भी आने नही देगा
जितना चाहे आप पंख फरफराइये
संदेश मुक्ति का अभी लाने नही देगा
ता पर रखिए सजा कर साज़ अपने
आपकी इच्छा से वह गाने नही देगा
क्या करेंगे आप लबादा उतारकर
घाव किसी को भी दिखाने  नही देगा
भूलकर प्रतिज्ञा किसी से ना कीजिये
वक्त जालिम है निभाने नही देगा
पैदा करेगा अड़चनें हर शुभ कर्म  में
आपको यह पुण्य कमाने नही देगा
नजरें झुका नाखून से धरती कुरेदिये
सिर आपको ऊपर ये उठाने  नही देगा
वक्त अब चालाक हो गया है दोस्त
पैर अब अंगद को जमाने नही देगा .
                                           "चरण"

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