Thursday, August 25, 2011

एक सृंगार रस के कवि की धूमधाम से शादी हुयी  सब कुछ हो जाने के बाद विदाई का समय आ पहुंचा लड़की की सारी सखी सहेलियों ने कवि महाशय को घेर लिया और रोने लगीं कहने लगीं जीजू हमने अपनी बहन को बहुत लाड प्यार से पाला है उसको कभी किसी बात के लिए दुखी नहीं किया यहाँ तक की कांटे तो उसने सपने में भी नहीं देखे और अब मजबूर होकर हमें इसको आपके हवाले करना पड़ रहा है इसे ध्यान से संभालना उनकी बातें सुनकर कवि महाशय का दिल भी भर आया  उनकी आँखों में आंसू छलक आये और रुआंसे होकर बोले सालियों तुम्हारा जीजू इतना गया बीता नहीं है मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ  की आज तक यह तुम्हारी बहन थी किन्तु आज से यह मेरी बहन है .
               "चरण"

No comments:

Post a Comment