Thursday, August 11, 2011

गाँधी वादी

आज लगी नकली नामों पर गाँधी जी की छाप
यह कैसे कुछ समझ ना आया संभव है पूछेगे आप
तो सुनिये यह लंबी गाथा छोटी कर समझा देता हूँ
उलट फेर की बात नहीं सीधी  सीधी बतला  देता हूँ
--चमक विदेशी सूट पहनते घर सम्मु खादी  भंडार
और राष्ट्र गीतों पर कर दी-अँगरेजी कि धुन्न सवार
बहुत दिनों तक पता चला ना ये बंधु गाँधी वादी हैं
गाँधी जी को गुरु मानते सिगरेट पीने के आदी हैं .
--और एक दिन चौराहे पर लगी हुयी थी भीड़ बड़ी
हमने भी मारा ब्रेक और कर दी साइकिल वहीं खड़ी
देखा एक अकेले जन  को बहुतेरे मिल पीट रहे थे
और बेचारे पीटने वाले रो रो  करके चींख रहे थे
छान बीन कर ग्यात  हुआ कि आप श्री गाँधी वादी हैं
जेब काटने के धंदे में डबल तिबल पी एच डी हैं .
--गत मंगल सब्जी मंडी में खड़े हुए थे एक साहब जी
एक हरिजन कि साइकिल गलती से उनसे जा टकराए
नेता जी ने मारा थप्पड़ और दो गाली भी दे डाली
नहीं ग्यात गाँधी वादी हूँ कर दूँगा भेजा खाली .
--अब मिलिये श्री मोहन दास  से ये हैं इनकम टैक्स ऑफिसर
वेतन बैंक सम्भाले इनका और रिश्वत से चलता घर
ऐसे ही श्री करमचंद भी दीनो का ही रक्त पियेन
अपने बच्चे रहें सलामत औरों के चाहे मरें जियेन .
                                                                   "चरण"

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