Monday, August 22, 2011

मैना

एक राजसी ठाठ बाट वाली बुढ़िया
चौराहे पर बैठी
आने जाने वालों से पूछ रही थी
किसी ने मेरी मैना को देखा है
मेरी मैना
अवसर पाकर पिंजड़े से उड़ गयी है 
लगता है
पक्छियों के दूसरे झुण्ड से जुड़ गयी है
जो उसका पता बताएगा
भारी इनाम पायेगा
जो उसे जिन्दा या मुर्दा पकड़ कर लायेगा
आधा राजपाट पायेगा
यह देख कर
हमारा सर चकराया
कुछ समझ में नहीं आया
एक मामूली पक्छी
मैना के लिए इतनी चिंता
हमने उनके चरणों में शीश नवाकर
पूछा
माता जी
हम आपकी
इस दशा को देखकर बहुत हैरान हैं
एक मामूली मैना के लिए
आप इतनी परेशान हैं
उन्होंने मेरा सर ऊपर उठाते हुवे कहा
बेटे
तुम नहीं जानते
वह मैना
बोलना जानती है
पक्छियों के दूसरे झुण्ड के दबाव में आकर
या
चिकनी चुपड़ी बातों में आकर
कुछ भी बोल सकती है
मेरे घर के
दबे ढके
सारे राज खोल सकती है .
                              "चरण"

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