Thursday, June 23, 2011

आत्म बोध

चिलचिलाती धूप को 
चारों ओर से 
अन्धकार ने घेर लिया 
समय का उल्लू 
टेलीफोन के तार par
उलटा लटक गया 
चार पांव वाला आदमी 
बे-तहासा दौड़ा चला जा रहा है 
गधों के सर पर 
दो दो जोड़ी सींग उग आये हैं 
कोयल अपना सेक्स परिवर्तन कराके 
कव्वे में कन्वर्ट हो गयी है 
बनिए की दूकान पर 
मांस बिक रहा है 
खेतों में 
आदमियों के बीज बोये जा रहे हैं 
अजगर 
एयर कंडीशन बंगलों में रह रहे हैं 
गधे घोड़े इम्पाला में बैठे 
फर्राटे से चले जा रहे है 
पत्थर 
सर पर हाथ धर 
फूट फूट रो रहे हैं 
बर्फ ने 
पिघलने से इनकार कर दिया है 
नेल पोलिस की शीसियों में 
ब्लेड बैंक का 
ब्लेक किया हुआ खून 
धड़ा धड़ी से बिक रहा है 
वृक्ष 
एक दुसरे से बहुत दूर चले गए हैं 
चिड़ियों ने 
बीच बाज़ार में 
अपने कपड़े उतार दिए हैं 
हंस किसी मुर्गी को दबोच कर ले गया 
बाज़ खड़ा खड़ा देखता रहा 
जंगल में 
सियार का अभिषेक किया गया है 
शेर ने 
मुनिस्पलिटी  में नौकरी कर ली 
खरबूजों में 
आपस में मतभेद हो गया है 
इसलिए एक दुसरे को देखकर 
रंग बदलना छोड़ दिया है 
घरेलू बजट में 
अब कफन का भी बजट बनने लगा है 
घर के 
खिड़की दरवाजों ने हड़ताल कर दी 
सर्कस का शेर 
फिर गुर्राने लगा है 
हवाओं ने 
अपना अपना इलाका बाँट लिया 
बच्चों के 
लम्बी लम्बी दाढ़ियाँ उग आयी हैं 
लाट की लाट मूंछे 
उस दिन 
सब्जी मंडी में नीलाम हो गयीं 
चोर और कुत्तों ने 
आपस में समझौता कर लिया 
भिन्डी 
टमाटर को चाव से खाने लगी 
घड़ियों के दिमाग 
आसमान में चढ़ गए 
इसलिए 
समय के लाले पड़ गए .
                        "चरण"

1 comment:

  1. Ati sundar .....
    aaj ke samay ke kadwe sach kahti rachna ..!

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